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एक पोस्टर पर काफी विवाद हो रहा है, जो हिंदू धर्म में देवी मां काली का है.

Maa Kali Poster Controversy:

सोशल मीडिया पर मां काली के एक पोस्टर पर काफी विवाद हो रहा है. दरअसल, ये पोस्टर एक डॉक्यूमेंट्री का है. इस पोस्टर में दिखाया गया है कि मां काली (Maa Kali Worship) के हाथ में सिगरेट और एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी का प्राइड फ्लैग है. इस पोस्टर के रिलीज होने के बाद इस पर काफी विवाद हो रहा है. लोगों का कहना है कि इससे हिंदू धर्म मानने वाले लोगों की भावनाएं आहत हुई हैं. साथ ही अब इस पोस्टर (Kali Maa Poster) के मेकर्स पर कार्रवाई की मांग की गई है और डॉक्यूमेंट्री डायरेक्टर को भी गिरफ्तार करने की मांग उठ रही है.

ऐसे में सवाल है कि आखिर ये फिल्म किसकी है और फिल्म के पोस्टर को लेकर क्या विवाद है. ऐसे में जानते हैं इस पोस्टर से जुड़े सवालों के जवाब और आपको बताएंगे कि क्या सही में एलजीबीटीक्यू समुदाय का काली मां की पूजा को लेकर कोई खास कनेक्शन है. तो जानते हैं क्या एलजीबीटीक्यू के लोग मां काली की खास तौर पर पूजा करते हैं…

2 जुलाई को इंडियन फिल्ममेकर

लीना मणिमेकलई ने अपनी डॉक्यूमेंट्री काली का पोस्टर शेयर किया था जिसको लेकर अब विवाद गहराता दिख रहा है। इस पोस्टर में देवी मां के स्वरूप को आपत्तिजनक स्थिति में दिखाया गया. इस पोस्टर में मां काली को सिगरेट पीते हुए दिखाया गया है. दरअसल, डायरेक्टर, पोएट और एक्टर लीना मणिमेकलई ने हाल ही में ट्विटर पर अपनी डॉक्यूमेंट्री फिल्म काली का पोस्टर शेयर किया था, जिसके बाद इस पर विवाद बढ़ गया है. इस मामले को लेकर गृह मंत्रालय से शिकायत की मांग की गई है. इस पोस्टर में सिगरेट के साथ एक विवाद इस पर भी है कि काली मां के हाथ में समलैंगिंक प्राइड फ्लैग भी दिखाई दे रहा है, जो कई कलर से मिलकर बना होता है. अब इस झंडे को लेकर सवाल है

 क्या एलजीबीटीक्यू कम्युनिटी का मां काली से सीधा कोई कनेक्शन है?

दरअसल, एलजीबीटीक्यू समुदाय का काली मां से पूजा का सीधा कोई कनेक्शन नहीं है. एलजीबीटीक्यू समुदाय के लिए काम कर रहे द हमसफर ट्रस्ट से जुड़े राकेश बताते हैं, ‘ऐसा बिल्कुल भी नहीं है ये कम्युनिटी किसी एक भगवान को खास तौर पर पूजते हैं या उनकी अराधना करते हैं. इसलिए यह कहना गलत है कि एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के लोग सिर्फ मां काली की पूजा करते हैं या खास तौर पर मां काली की अराधना करते हैं. इस कम्यूनिटी में कोई भी धर्म या जाति के व्यक्ति हो सकता है. एक मुस्लिम भी लेसबियन, गे आदि हो सकता है तो फिर वो मां काली की पूजा क्यों करेगा.’

उन्होंने बताया, ‘एलजीबीटीक्यू कम्यूनिटी के लोग अपने हिसाब से और जिस धर्म से आते हैं, उसके हिसाब से भगवान की पूजा करते हैं. कोई भी व्यक्ति किसी भी भगवान को मान सकता है और सबका अपना पूजा करने का तरीका है. इसमें कोई विशेष भगवान को लेकर मान्यता नहीं है. हिंदू धर्म का गे हिंदू भगवान को पूजते हैं और मुस्लिम धर्म के लोग अपने हिसाब से इबादत करते हैं.’

इस माता को मानते हैं ट्रांसजेंडर

वहीं, उन्होंने बताया कि वैसे भारत में ट्रांसजेंडर या किन्नर समुदाय के लोग बहुचरा माता को ज्यादा पूजते हैं. बता दें कि इन माता का मंदिर गुजरात के मेहसाणा जिले के बेचराजी कस्बे में है. किन्नर इन्हें अर्धनारीश्वर का रूप मानकर पूजते हैं. इस मंदिर में बहुत से मुर्गे रोज घूमते रहते हैं इसलिए इन देवी को मुर्गे वाली देवी भी कहा जाता है. कहा जाता है कि इनकी पूजा से अगले जन्म में किन्नर पूरे शरीर के साथ जन्म लेंगे. किन्नरों के अलावा यहां वो लोग भी आते हैं, जिनके कोई संतान नहीं थी. मन्नत पूरी होने के बाद वे शिशु के बाल यहां छोड़ जाते हैं.

मां काली की भी करते हैं पूजा

वहीं, किन्नर समुदाय के लोग मां काली की पूजा भी करते हैं. ऐसे में कोलकाता में दुर्गा पूजा के वक्त किन्नर समुदाय के लोग भी इसमें हिस्सा लेते हैं. कई बार काली पूजा में अर्द्धनारीश्वर रूप में काली मां को पूजा जाता है.
भड़के यूजर्स ने लगाई पीएमओ के गुहार

इस पोस्टर के सोशल मीडिया पर आने के बाद फैंस उन्हें ट्रोल करते हुए तीखी प्रतिक्रिया दे रहे हैं। एक यूजर ने लिखा, ये ईशनिंदा है और हिंदू धार्मिक भावनाओं को आहत करता है। आग खान संग्रहालय इसको तुंरत ही हटाने की जरूरत है।

जबकि दूसरे यूजर ने चेतावनी देते हुए लिखा, किसी और धर्म के साथ ऐसा करने की हिम्मत करो। बस कोशिश करें और…

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