कहते हैं कि सच्चाई ज्यादा समय तक छिप नहीं सकती। आज नहीं तो कल राज खुल ही जाना है। दो भाइयों ने जब DHFL को फर्जीवाड़े के दम पर आगे बढ़ाया तो सोचा नहीं होगा कि उन्हें आगे चलकर जेल की काल कोठरी मिलेगी और एक के बाद एक राज खुलते जाएंगे।
कुछ साल पहले तक DHFL का विज्ञापन करते आपने बॉलीवुड के बादशाह शाहरुख खान को जरूर देखा होगा। जब कोई बड़ा सितारा हमें किसी कंपनी, पेस्ट, तेल या सेवाओं के बारे में बताता है तो हम उस कंपनी पर 100 प्रतिशत भरोसा करते हैं। कई दशकों से ऐसा होता आ रहा है। लेकिन यह DHFL तो फर्जीवाड़े में मास्टर निकली। एक के बाद उसके बड़े-बड़े ‘खेल’ उजागर हो रहे हैं। एक साल पहले पता चला था कि DHFL ने प्रधानमंत्री आवास योजना की मदद से गरीबों को घर देने के नाम पर सब्सिडी डकार ली। जी हां, इस प्राइवेट फाइनेंस कंपनी ने 80 हजार फर्जी अकाउंट खोले, आर्थिक रूप से कमजोर वर्ग के फर्जी लोगों को खड़ा किया, उन्हें लोन दिया और सरकार से मिली रियायत खा गए। बैंकों ने दो किस्तों में करीब 1900 करोड़ की छूट वधावन ब्रदर्स की कंपनी को ट्रांसफर कर दी। मतलब कागजों में बना गरीबों का घर और हकीकत में सब्सिडी पहुंच गई वधावन भाइयों के पास। इसे 14 हजार करोड़ रुपये का घोटाला बताया गया। यस बैंक के साथ मिलकर भी DHFL ने अंदरखाने भारी उलटफेर किया है। पहले हम 9,000 करोड़, 14 हजार करोड़, 23 हजार करोड़ को बड़ा घोटाला मानते गए लेकिन अब DHFL से ही जुड़ा 34,615 करोड़ का घोटाला सामने आया है।
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कैसे हुआ घोटाला
खेल शुरू होता है साल 2010 से। UBI का आरोप है कि DHFL कंपनी ने बैंकों के समूह से विभिन्न व्यवस्थाओं के तहत लोन लेना शुरू किया। 2018 आते-आते यह42,871 करोड़ रुपये तक पहुंच गया। लेकिन मई 2019 से भुगतान में डिफॉल्ट करना शुरू कर दिया। इस तरह से DHFL ने कुल 17 बैंकों को हजारों करोड़ का चूना लगाया।
NPA और ऑडिट रिपोर्ट
अधिकारियों ने बताया कि कर्ज देने वाले बैंकों ने अलग-अलग समय पर खातों को एनपीए (गैर-निष्पादित संपत्तियां) घोषित किया। यूबीआई ने दावा किया कि KPMG ने ऑडिट की तब जाकर बड़ी वित्तीय अनियमितताएं, फंड की हेराफेरी, दस्तावेजों में फर्जीवाड़ा आदि पता चला।
जेल में हैं ब्रदर्स
एक समय जिन वधावन ब्रदर्स का प्राइवेट सेक्टर में सिक्का चलता था, आज वे जेल की सलाखों के पीछे हैं। कपिल और धीरज वधावन को मई 2020 में गिरफ्तार कर जेल में डाल दिया गया था। वह केस यस बैंक फ्रॉड से जुड़ा था। पिरामल कैपिटल और हाउसिंग फाइनेंस (PCHF) ने 34,250 करोड़ रुपये में डीएचएफएल का अधिग्रहण कर लिया है।
6 कंपनियां राडार पर
जांच एजेंसी ने पाया है कि दीवान हाउसिंग फाइनेंस कॉरपोरेशन, तत्कालीन चेयरमैन और प्रबंध निदेशक कपिल वधावन, निदेशक धीरज वधावन और रियल्टी क्षेत्र की छह कंपनियां यूनियन बैंक ऑफ इंडिया के नेतृत्व वाले बैंकों के समूह के साथ की गई धोखाधड़ी की साजिश में शामिल थीं। Sudhakar Shetty of Amaryllis Realtors समेत 6 रिएल्टर कंपनियां एजेंसी के रडार पर हैं। सीबीआई ने बैंक से 11 फरवरी, 2022 को मिली शिकायत के आधार पर यह कार्रवाई की है। इससे पहले 2021 में यूनियन बैंक ऑफ इंडिया ने सीबीआई को डीएचएफएल के प्रमोटर्स और तत्कालीन प्रबंधन की जांच करने के लिए लिखा था।
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