ज्योतिष शास्त्र के अनुसार यदि किसी व्यक्ति पर शनिदेव की टेढ़ी नजर होती है तो उसके जीवन में मुश्किलों का अंबार लग जाता है। इसलिए हर व्यक्ति चाहता है कि शनिदेव की कृपा उस पर सदा बनी रहे। ऐसे में ज्योतिष अनुसार शनि यंत्र की स्थापना से…
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिदेव को न्याय का देवता माना जाता है। वहीं शनिदेव का शास्त्रों में मिले वर्णन के अनुसार उन्हें सबसे क्रूर और क्रोधित ग्रह भी कहा जाता है। इसलिए शनिदेव का नाम सुनते ही सबके मन में भय आ जाता है। ज्योतिष के जानकारों के मुताबिक कुंडली में शनि ग्रह के अशुभ प्रभाव से पीड़ित जातक को शारीरिक, मानसिक पीड़ाओं के साथ ही कई आर्थिक संकटों का भी सामना करना पड़ता है।
ऐसे में शनिदेव को प्रसन्न रखने के लिए ज्योतिष शास्त्र में कई उपाय भी बताए गए हैं। इन उपायों में से एक सिद्ध और प्रभावशाली उपाय शनि यंत्र माना गया है। ज्योतिष शास्त्र में यंत्र पूजा और इस धारण करने को बहुत महत्व दिया जाता है। मान्यता है कि शनि यंत्र की नियमित पूजा और इसे घर में स्थापित करने से शनिदेव प्रसन्न होते हैं और जातक को जीवन में शुभ परिणाम मिलने लगते हैं। तो आइए जानते हैं शनि यंत्र की स्थापना और पूजा विधि से जुड़े नियम…
शनि यंत्र की स्थापना कैसे करें?
ज्योतिष शास्त्र के अनुसार शनिवार के दिन शनि यंत्र की स्थापना के लिए सुबह जल्दी उठकर और स्नानादि से निवृत्त होकर घर के पूजा स्थल की अच्छी तरह साफ-सफाई करके वहां शनि यंत्र स्थापित करें। शनि यंत्र के सामने बैठकर 11 बार “ऊँ शं शनैश्चराय नम:” मंत्र का जाप करें। इसके बाद यंत्र पर गंगाजल छिड़कें और हाथ जोड़कर मन में शनि देव से प्रार्थना करें कि वह आप पर अपनी कृपा बनाए रखें। मान्यता है कि शनि यंत्र की स्थापना के बाद इसकी नियमित पूजा करना जरूरी होता है अन्यथा शुभ फल प्राप्त नहीं हो पाता।
यदि आप शनि यंत्र को अपने पर्स या गले में धारण कर रहे हैं तो उपरोक्त विधि की तरह ही स्नान के पश्चात शनि यंत्र को अपने हाथ में लेकर विधिपूर्वक पूजन और मंत्र जाप करके धारण करें। इस बात का खास ख्याल रखें कि शरीर पर धारण किए गए यंत्र को कभी भी पूजा स्थल में स्थापित नहीं करना चाहिए।
इस लेख में दी गई सूचनाएं सिर्फ मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है।