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बचपन में ‘बदसूरत’ बुलाने पर मां के सामने खूब रोई थीं नूतन, बड़े होकर दिया करारा जवाब

हिंदी सिनेमा की दिग्गज अभिनेत्री नूतन ने अपनी फिल्मों से अपने दर्शकों का खूब मनोरंजन किया। 4 जून 1936 में जन्मीं नूतन की अदाकारी के साथ-साथ उनकी खूबसूरती पर भी लोग मर मिटते थे। जो एक बार एक्ट्रेस को पर्दे पर देखता वह उनसे नजरें नहीं हटा पाता। 1950 में अपनी ही मां शोभना समर्थ की फिल्म ‘हमारी बेटी’ से एक्ट्रेस ने हिंदी सिनेमा में कदम रखा था।

आपको ये जानकर हैरानी होगी कि जिस नूतन के चेहरे को देखने के बाद लोग उनकी खूबसूरती की तारीफ करते हुए नहीं थकते थे, कभी उन्हीं मशहूर अदाकारा को बचपन में ‘बदसूरत’ कहा गया था, जिससे एक्ट्रेस काफी टूट गई थीं। 21 फरवरी को एक्ट्रेस की डेथ एनिवर्सरी पर आज हम आपको एक्ट्रेस की जिंदगी से जुड़ा एक किस्सा बताने जा रहे हैं।

बचपन में इस बात ने तोड़ दिया था नूतन का दिल

1956 में दिए गए एक इंटरव्यू में नूतन ने अपने बचपन में घटी उस घटना को याद किया, जब उन्हें ‘बदसूरत’ कहा गया था। एक्ट्रेस ने कहा, ‘मुझे याद है जब मैं चार साल की थी, तो मेरी मां की एक दोस्त ने मुझे बहुत समय तक घूरने के बाद मुझे ऐसा लुक दिया, जैसे उन्हें मैं पसंद नहीं आई।

उन्होंने मेरी मां से कहा, सच कहूं शोभना तुम्हारी बच्ची कितनी बदसूरत है। मुझे उस समय साफ तौर पर ये समझ नहीं आया कि मेरे बारे में क्या कहा गया, लेकिन इतना जरूर समझ में आया कि ये मेरे से जुड़ा हुआ है। मुझे ये भी उस समय लगा कि मेरे लिए सही बात नहीं कही गई है। जब मैंने अपनी मां से पूछा कि आपकी दोस्त मेरे बारे में क्या कह रही थीं और मां ने मुझे जब बताया, तो मुझे बहुत ज्यादा दुःख हुआ’।

मां की इस बात को समझकर दिया करारा जवाब-नूतन

नूतन ने अपनी इस बातचीत को आगे बढ़ाते हुए कहा, ‘मेरी मां ने मुझे समझाया कि तुम्हें इसे अपनी तारीफ की तरह लेना चाहिए, क्योंकि बत्तख का बच्चा जब बड़ा हो जाता है, तो वह एक खूबसूरत हंस में बदल जाता है’। नूतन ने आगे कहा कि मां की इस बात ने उनका काफी हौंसला बढ़ाया।

इसके बाद जब भी किसी ने एक्ट्रेस के लुक्स पर कमेंट किया, तो उन्होंने मुंहतोड़ जवाब देते हुए कहा, ‘तुम रुको और देखो, जब मैं बड़ी होंगी, तो मैं बिल्कुल अपनी मां की तरह ही खूबसूरत हो जाऊंगी’। नूतन ने कहा मेरी मां ने मुझसे जो कहा था मैं उस पर विश्वास करती हूं।

दिग्गज अभिनेत्री नूतन के फिल्मी करियर की बात करें तो उन्होंने हमारी बेटी के बाद साल 1951 में नगीना, हम लोग जैसी फिल्मों में काम किया। उसके अलावा उन्होंने ‘कभी अंधेरा, कभी उजाला’, अनाड़ी, सौदागर, बंदिनी, रिश्ते नाते, खानदान जैसी कई यादगार फिल्में हिंदी सिनेमा को दीं। 1974 में एक्ट्रेस को भारतीय सरकार की तरफ से पद्मश्री अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था।

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