30 साल की अर्पिता मुखर्जी बीते 10 साल से भी ज्यादा समय से पूर्व मंत्री पार्थ चटर्जी के साथ कनेक्शन में हैं। ED को 2012 की एक कन्वेयंस डीड मिली है, जो अर्पिता और पार्थ चटर्जी के जॉइंट नाम पर है। इसी के आधार पर ED कह रहा है कि अर्पिता दस साल से फाइनेंशियल और जमीनों के मामलों में पार्थ के साथ जुड़ी हैं।
उसके घर की हालत खराब है।
बलघेरिया के देवानपाड़ा इलाके में जहां अर्पिता का पुश्तैनी घर है, उसकी हालत खराब है। घर जगह-जगह से टूट रहा है। घर में उनकी बुजुर्ग मां मिनाती मुखर्जी अकेली रहती हैं। अर्पिता की छोटी बहन की भी शादी हो चुकी है।
भास्कर की टीम उनसे मिलने
भास्कर की टीम उनसे मिलने पहुंची तो घर में ताला लगा मिला। खिड़की से काफी देर तक आवाज देने पर उन्होंने चाबी दी। बोलीं, ‘मैं किसी से बात नहीं करना चाहती लेकिन आप लोग आते हो तो भगाना नहीं चाहती। मुझे तो पड़ोसियों ने कहा है कि आप ताला लगाकर ही रखो और किसी से बात मत करो।’
उन्होंने बताया, ‘अर्पिता कभी-कभी मिलने आती है। राशन-दवाई दे देती है लेकिन पैसे कभी नहीं दिए। वो कई साल पहले घर छोड़ चुकी है। पहले सीरियल में काम किया। फिर फिल्मों में भी आई, लेकिन उसने इस बात का कभी जिक्र नहीं किया कि उसके पास इतने पैसे हैं।’
नई प्रॉपर्टी के बारे में पता चला, अमाउंट और बढ़ने की उम्मीद
इधर CGO कॉम्पलेक्स में पार्थ और अर्पिता से पूछताछ कर रही ED को कई नई प्रॉपर्टी के बारे में पता चला है। जल्द ही इन जगहों पर छापा मारा जाएगा। इसके बाद अमाउंट और ज्यादा बढ़ सकता है।
ED आने वाले दिनों में 10 से 12 जगहों पर छापा मार सकती है। पश्चिम बंगाल के सीनियर जर्नलिस्ट स्निग्धेंदु भट्टाचार्य कहते हैं, ‘जितना पैसा मिला है, उतने का अंदाजा TMC को भी नहीं था। इसलिए पार्थ चटर्जी को सरकार के साथ ही पार्टी में भी सभी पदों से हटा दिया गया है।’
‘बंगाल में इंटेलिजेंस और पुलिस का फोकस अपोजिशन पर है। सत्ता पक्ष के नेताओं पर कोई ज्यादा वॉच नहीं रखता। इसलिए ऐसा लगता है कि यह मामला अभिषेक या ममता बनर्जी की नजर में नहीं आया। यदि उनके नॉलेज में होता तो पार्थ के खिलाफ इतना सख्त रुख शायद नहीं अपनाया जाता’
पार्थ को पसंद नहीं करते अभिषेक
वहीं सीनियर जर्नलिस्ट प्रभाकरण मणि तिवारी कहते हैं कि अभिषेक बनर्जी पार्थ चटर्जी को पसंद नहीं करते। 2016 में भी उन्होंने पार्थ को मंत्रिमंडल में शामिल करने का विरोध किया था। 2021 में शपथ ग्रहण में शामिल नहीं हुए थे।
पार्थ चटर्जी का TMC में नंबर-3 का कद था। ममता और अभिषेक के बाद वे सबसे पावरफुल लीडर थे, लेकिन इस मामले ने उन्हें पूरी तरह पावर से बाहर कर दिया है। वे शुरू से ममता बनर्जी के लिए लॉयल रहे। जबकि अभिषेक TMC में अपने लॉयल नेताओं को आगे बढ़ाना चाहते हैं।
वहीं जिन कुणाल घोष की TMC में पार्थ ने ही वापसी करवाई थी, वही अब उनके खिलाफ बोल रहे हैं। कुणाल का कहना है कि, यदि पार्थ सही हैं तो ये बात अदालत में साबित करें।
कैसे हुए नोटबंदी के बाद इतने पैसे इकट्ठे
इस मामले में TMC के राज्य उपाध्यक्ष जयप्रकाश मजूमदार का कहना है, ‘ED ने अभी तक TMC से डायरेक्ट कनेक्टिविटी के बारे में कुछ नहीं बोला है। वहीं पार्टी ने साफ कर दिया है कि अर्पिता का TMC से कोई लेनादेना नहीं है।
अब सबसे जरूरी ये है कि जो पैसे मिले हैं, उसके सोर्स का पता लगाया जाए, क्योंकि नोटबंदी के बाद यह शायद ब्लैक मनी का सबसे बड़ा मामला है। PM ने कहा था कि नोटबंदी के बाद ब्लैक मनी खत्म हो जाएगी तो फिर ये 50 करोड़ रुपए कैसे इकट्ठे हो गए। क्या यह इंडियन सिस्टम का डिफॉल्ट नहीं है।
वहीं जिस टीचर्स रिक्रूटमेंट को लेकर पूरी जांच चल रही है उसका नोटिफिकेशन 2014 में जारी हुआ था। नोटबंदी के बाद नई करेंसी 2017 से आई। उसके पहले ही कई अपॉइंटमेंट हो चुके थे। तो क्या नौकरी मिलने के बाद रिश्वत ली गई। ऐसा हो सकता है क्या। इसलिए मैं कह रहा हूं कि इस मामले में किसी भी तरह के कयास न लगाते हुए जो पैसे मिले हैं, उसके सोर्स की डिटेल जांच होना चाहिए।’