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लिव-इन में रह रहे कपल के बच्चों का भी पैतृक सम्पति में अधिकार – सुप्रीम कोर्ट

लिव-इन में रह रहे कपल के बच्चों को भी पैतृक संपत्ति में मिलेगा हिस्सा, सुप्रीम कोर्ट का बड़ा फैसला

देश की सर्वोच्च अदालच ने कहा कि अगर पुरुष और महिला पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो इसे विवाह जैसा ही माना जाएगा। यही नहीं सुप्रीम कोर्ट ने ऐसे कपल के बच्चों को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदारी को लेकर भी अहम फैसला सुनाया है।

लेकिन हाईकोर्ट इसे खारिज करते हुए अपनी असहमति जताई। उच्च न्यायालय ने फैसला पलटते हुए ट्रायल कोर्ट से फिर से सुनवाी करने को कहा।

इसके बाद इस रिमांड ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने हाईकोर्ट से ही मामले में फैसला देने को कहा। हाईकोर्ट अपने पहले के फैसले पर कायम रहा। इसके बाद मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और शीर्ष अदालत ने लिव इन में रहे रहे कपल के बेटे को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार माना।

याचिका पर सुनवाई में फैसला

देश की शीर्ष अदालत के न्यायाधीश एस. अब्दुल नज़ीर और न्यायाधीश विक्रम नाथ की पीठ ने ये अहम फैसला सुनाया है। पीठ ने अपने फैसले में साफ कहा कि, ‘यह अच्छी तरह से स्थापित है कि पुरुष और महिला पति-पत्नी के रूप में लंबे समय तक एक साथ रहते हैं, तो इसे विवाह जैसा ही माना जाएगा। बेंच ने साफ किया कि, इस तरह का अनुमान साक्ष्य अधिनियम की धारा 114 के तहत लगाया जा सकता है।
क्या था केरल हाईकोर्ट का मामला
सुप्रीम कोर्ट ने केरल हाईकोर्ट को जिस निर्णय के खिलाफ अपना फैसला सुनाया है, उसके मुताबिक ये मामला 2009 के उस फैसले के खिलाफ अपील पर आया है, जिसमें एक पुरुष और महिला के बीच लंबे समय तक चले रिश्ते के बाद पैदा हुई संतान के वारिसों को पैतृक संपत्तियों में हिस्सा देने संबंधी निचली अदालत के आदेश को खारिज किया गया था।
40 साल से अटका था मामला
सुप्रीम कोर्ट ने जिस मामले पर अपना फैसला सुनाया है, वो बीते 40 वर्षों से अलग-अलग अदालत में चक्कर काट रहा था। सबसे पहले ये मामला लोअर कोर्ट पहुंचा जहां फैसले में कहा था कि लंबे समय तक पति-पत्नी की तरह साथ रहने वाले कपल के बेटे को पारिवारिक संपत्ति में हिस्सेदार माना जाना चाहिए।
लेकिन हाईकोर्ट इसे खारिज करते हुए अपनी असहमति जताई। उच्च न्यायालय ने फैसला पलटते हुए ट्रायल कोर्ट से फिर से सुनवाी करने को कहा।
इसके बाद इस रिमांड ऑर्डर को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी गई, जिसने हाईकोर्ट से ही मामले में फैसला देने को कहा। हाईकोर्ट अपने पहले के फैसले पर कायम रहा। इसके बाद मामला दोबारा सुप्रीम कोर्ट पहुंचा और शीर्ष अदालत ने लिव इन में रहे रहे कपल के बेटे को पैतृक संपत्ति में हिस्सेदार माना।

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