चातुर्मास में शादी ब्याह से लेकर कई मांगलिक कार्यों पर रोक लग जाती है। जानिए इस दौरान और किन बातों का ध्यान रखना जरूरी है।
चातुर्मास के दौरान मांगलिक और शुभ कार्य पूरी तरह से बंद हो जाते हैं। जैसे इस दौरान सगाई, शादी, गृह प्रवेश, मुंडन आदि काम नहीं किए जाते।
ये अवधि व्रत तपस्या के लिए जानी जाती है। इन 4 महीनों में साधु संत भी अपनी यात्राएं बंद कर देते हैं और किसी मंदिर में या अपने मूल स्थान पर चले जाते हैं। इस अवधि में उपवास और साधना की जाती है।
इन 4 महीनों में खान-पान पर भी विशेष ध्यान दिया जाता है। इस दौरान व्यक्ति को सात्विक भोजन करने की सलाह दी जाती है। इस दौरान पत्तेदार सब्जियां खाने से परहेज किया जाता है। इसी दौरान आने वाले भाद्रपद महीने में दही वर्जित होती है। आश्विन में दूध से परहेज करने की सलाह दी जाती है और कार्तिक मास में लहसुन और प्याज का सेवन मना होता है।
इन 4 महीनों में शहद, बैंगन, परवल और मूली न खााने की भी सलाह दी जाती है। इस दौरान अधिक से अधिक समय पूजा पाठ में लगाया जाता है।
चातुर्मास में केवल एक समय ही भोजन करने की सलाह दी जाती है क्योंकि ऐसा माना जाता है कि इस समय हमारी पाचन शक्ति थोड़ी कमजोर हो जाती है। अगर ऐसे में खाने-पीने में ध्यान न दिया जाए तो इससे हमारा शरीर अस्वस्थ हो सकता है।