वेदांता रिसोर्सेज लिमिटेड के संस्थापक और अध्यक्ष अनिल अग्रवाल (Anil Agarwal) को लेकर काफी दिनों से ये बात कही जा रही थी कि वे जल्द ही वेदांता (Vedanta) अपनी हिस्सेदारी बेचने वाले हैं। वेदांता लिमिटेड ने गुरुवार को बिक्री की किसी भी बात को निराधार करार दिया है। कंपनी के प्रवक्ता के मुताबिक, वेदांत लिमिटेड में हिस्सेदारी बेचने की कोई भी बात गलत और निराधार है।
मीडिया रिपोर्ट्स में बहुत दिनों से ऐसी खबरें आ रही थीं कि अनिल अग्रवाल वेदांता में हिस्सेदारी बेचने पर विचार कर रहे हैं और कंपनी के 5 प्रतिशत शेयर बेचने की संभावना की जांच कर रहे हैं।
कंपनी के बयान में कहा गया है कि हिस्सेदारी की बिक्री अग्रवाल के लिए अंतिम उपाय होगी और जब अन्य धन उगाहने वाले विकल्प विफल हो जाएंगे, तभी इस पर विचार किया जाएगा।
वेदांता रिसोर्सेज अपने ऋण को कम करना चाहती है, जिसे इसने हिंदुस्तान जिंक लिमिटेड (HZL) से लिया था। वेदांता रिसोर्सेज ने HZL से 2,981 मिलियन अमेरिकी डॉलर का कर्ज लिया था। वेदांता के पास HZL की इक्विटी शेयर पूंजी का 64.92 प्रतिशत है। हालांकि, हिंदुस्तान जिंक में सरकार की भी 29.54 फीसदी हिस्सेदारी है और उसने इस कदम का कड़ा विरोध किया है।
अपने एक बयान में वेदांता रिसोर्सेज ने कहा कि उसके पास आने वाली तिमाहियों में कर्ज चुकाने की देनदारियों को पूरा करने के लिए पर्याप्त साधन हैं। कंपनी सिंडिकेट ऋण और द्विपक्षीय बैंक के संयोजन के माध्यम से 1.75 बिलियन अमेरिकी डॉलर के समझौते के अंतिम चरण में है।
वेदांता रिसोर्सेज ने कहा था कि उसने मार्च 2023 तक चुकाए जाने वाले अपने सभी ऋणों का पूर्व भुगतान कर दिया है और ये पिछले 11 महीनों में 2 बिलियन अमरीकी डालर से कम हो गया है। वेदांता रिसोर्सेज ने हाल ही में कहा था कि उसने बार्कलेज बैंक और स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक से लिए गए कर्ज में 250 मिलियन डॉलर का पूरा भुगतान कर दिया है।