Amarnath Yatra: जम्मू कश्मीर प्रशासन ने चार हेल्पलाइन नंबर्स जारी किए हैं. इस बीच जम्मू बेस कैंप से अमरनाथ तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था रवाना हुआ है.
Cloud Burst Near Amarnath Cave: दक्षिण कश्मीर (Kashmir) में स्थित पवित्र अमरनाथ गुफा (Amarnath cave) के पास शुक्रवार शाम को बादल फटने (Cloudburst) से आयी आकस्मिक बाढ़ से कम से कम 17 लोगों की मौत हो गई है. जबकि कई घायल हो गए हैं. 50-60 लोगो के लापता होने की आशंका जताई जा रही है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक 60 लोग लापता हैं. अमरनाथ गुफा के पास और पंचतरणी में दो से तीन हजार लोगों के फंसे होने की सूचना है.
अस्थायी रूप से रुकी यात्रा
हादसे की वजह से अमरनाथ यात्रा निलंबित कर दी गई है. न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक यात्रा को बहाल करने का निर्णय बचाव अभियान पूरा हो जाने के बाद ही लिया जाएगा. यात्रा फिलहाल दोनों रास्तों बालटाल और पहलगाम से बंद है. बीते तीन जून को ही अमरनाथ यात्रा शुरू हुई थी.
ये बादल फटना होता क्या है? क्या वाकई बादल फट जाता है?
दरअसल, ‘बादल फटना’ एक तकनीकी शब्द है। मौसम विज्ञानियों के अनुसार, जब एक जगह पर एक साथ अचानक बहुत बारिश हो जाए तो उसे बादल फटना कहते हैं।, पानी से भरे बादल पहाड़ों में फंस जाते हैं। इनकी ऊंचाई बादलों को आगे नहीं बढ़ने देती है। इससे अचानक ही एक साथ एक जगह तेज बारिश होने लगती हैं। पहाड़ों पर पानी न रुकने से यह तेजी से नीचे की तरफ आता है। इसके रास्ते में जो आता है वह उसे बहा ले जाता है। भीषण तबाही की यही वजह होती है।
बादल फटने और और तेज बारिश में क्या अंतर है?
वैसे तो इसमें कोई अंतर नहीं, लेकिन जब 20 से 30 वर्ग किलोमीटर के इलाके में एक घंटे से कम समय मे 100 mm या इससे ज्यादा बारिश हो जाए तो इसे बादल फटना कहते हैं।
तीव्रता को छोड़ दें तो दोनों में सबसे बड़ा अंतर ये है कि बारिश या तेज बारिश का पूर्वानुमान लगाया जा सकता है, लेकिन बादल फटने का नहीं। यानी बादल फटने पर अचानक और बहुत तेजी से बारिश होती है। इसके अलावा बादल आमतौर पर पहाड़ी इलाकों भी फटता है। अगर भारत में कहें तो आमतौर पर बादल हिमालय में फटते हैं।
बादल अकसर बद्रीनाथ और केदारनाथ जैसे ऊंचे इलाकों के आस-पास क्यों फटते हैं?
बद्रीनाथ 3300 मीटर और केदारनाथ 3583 मीटर की ऊंचाई पर हिमालय में हैं। हिमालय से टकराकर मानसूनी बादल धीरे-धीरे भारी मात्रा में जमा हो जाते हैं और बादल फटने का माहौल बन जाता है। यही वजह है कि अक्सर बादल ऐसे हिमालयी इलाकों में फटते हैं। इसका मतलब यह नहीं कि बादल मैदानी इलाकों में नहीं फट सकते।
2013 में उत्तराखंड में केदारनाथ में आई तबाही को भला कौन भूल सकता है।
तब केदारनाथ धाम में भारी बारिश से मंदाकिनी नदी ने प्रचंड रूप धारण कर लिया था। एक बार फिर उत्तराखंड में आई आपदा (Disaster in Uttarakhand) से देश में हलचल मच गई है. 2013 में केदारनाथ (Kedarnath) में आई भीषण त्रासदी श्रद्धालुओं की मौत के सबसे अधिक मामले केदारनाथ यात्रा के दौरान दर्ज किए गए हैं. बताया जाता है कि केदारनाथ यात्रा के दौरान कुल 63 में से 30 मौतें हुई थे यमुनोत्री में 19, बद्रीनाथ में 12 और गंगोत्री में चार श्रद्धालुओं की मौत हुई थे
इंसानों की वजह से मौसम में होने वाले बदलाव यानी क्लाइमेट चेंज का बादल फटने से कोई लेना-देना है?
कई स्टडीज बताती हैं कि क्लाइमेट चेंज की वजह से बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं और उनकी तीव्रता भी। अगले पांच सालों के दौरान दुनिया का औसत तापमान 1.5 डिग्री सेल्सियस तक बढ़ सकता है। तापमान बढ़ने की दर के हिसाब से हिमालय के इलाके में बादल फटने की घटनाएं भी बढ़ रही हैं। बादल फटने की बढ़ती घटनाओं के चलते अचानकर बाढ़ आना, पहाड़ दरकना, मिट्टी का कटान और जमीन धंसने के मामले भी बढ़ते जाते है ।
राहत और बचाव अभियान जारी
भारतीय सेना और ITBP के जवान, राहत और बचाव अभियान में जुटे हैं. पुलिस और राष्ट्रीय आपदा मोचन बल (एनडीआरएफ) के कर्मी भी बचाव अभियान में लगे हैं. अमरनाथ गुफा के पास और पंचतरणी में दो से तीन हजार लोगो के फंसे होने की सूचना है.
हेल्पलाइन नंबर जारी
जम्मू कश्मीर प्रशासन ने शुक्रवार को अमरनाथ यात्रा के लिए हेल्पलाइन स्थापित की. उपराज्यपाल प्रशासन और श्री अमरनाथ श्राइन बोर्ड ने चार टेलीफोन नंबर जारी किए हैं जिस पर संपर्क कर लोग जानकारी प्राप्त कर सकते हैं. श्राइन बोर्ड ने ट्वीट किया, “अमरनाथ यात्रा के लिए हेल्पलाइन नंबर: एनडीआरएफ: 011-23438252, 011-23438253, कश्मीर डिविजनल हेल्पलाइन: 0194-2496240, श्राइन बोर्ड हेल्पलाइन: 0194-2313149.”
तीर्थयात्रियों का नया जत्था रवाना
जम्मू से यात्रियों को आने दिया जा रहा है लेकिन बालटाल से आगे यात्रा बंद है. इस बीच जम्मू बेस कैंप से अमरनाथ तीर्थयात्रियों का एक नया जत्था रवाना हुआ. एक यात्री ने बताया, “हमें अब यात्रा के लिए आगे जाने दे रहे हैं. सभी तरह की सुविधाएं दी जा रही हैं. हमें बहुत अच्छा लग रहा है. बाबा सबकी रक्षा करेंगे. जो कल प्राकृतिक आपदा आई उसको लेकर दुख है लेकिन बाबा बर्फानी सबकी रक्षा करेंगे और दर्शन देंगे.”
प्रत्यक्षदर्शी ने बताया क्या हुआ था?
अमरनाथ की पवित्र गुफा से सोनमर्ग के बालटाल आधार शिविर पहुंचे एक तीर्थयात्री ने बताया, ”वहां भगदड़ जैसी स्थिति हो गई लेकिन सेना ने बहुत सहयोग किया. कई पंडाल पानी के कारण बह गए.”
स्वास्थ्य सेवा निदेशालय ने की छुट्टियां कैंसिल
स्वास्थ्य सेवा निदेशालय, कश्मीर ने कर्मचारियों के सभी अवकाश (नियमित/संविदात्मक) रद्द कर दिए हैं और उन्हें तुरंत ड्यूटी पर रिपोर्ट करने का निर्देश दिया है. सभी अधिकारियों को अपने मोबाइल स्विच ऑन रखने के निर्देश दिए गए हैं.
अस्थायी अस्पताल बनाए गए, बचाव अभियान में लगाए गए हेलीकॉप्टर
न्यूज एजेंसी पीटीआई के मुताबिक अधिकारियों ने कहा कि घायलों की सहायता के लिए सोनमार्ग एवं अन्य स्थानों पर अस्थायी अस्पताल बनाये गये हैं. उनके अनुसार दक्षिण कश्मीर के अंनतनाग, श्रीनगर और दिल्ली में हेल्पलाइन स्थापित की गई हैं ताकि प्रभावित परिवारों की मदद की जा सके, साथ ही संभागीय आयुक्त (कश्मीर) के प्रभार में एक समेकित कमान केंद्र स्थापित किया गया है. जम्मू कश्मीर प्रशासन ने बचाव अभियान के लिए उन्नत हल्के हेलीकॉप्टर लगाये हैं.