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टूट सकती है शिवसेना; कानूनी वजहों से उद्धव का दामन छोड़ सकते हैं 8-9 सांसद

 महाराष्ट्र का सियासी संकट लगातार गहराता जा रहा है। 56 साल पहले बनाई बाल ठाकरे टूट के कगार पर है। शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे और उनके समर्थक विधायकों की बगावत के बाद सीएम उद्धव ठाकरे ने मुख्यमंत्री आवास छोड़ दिया है।

 महाराष्ट्र में जारी सियासी संकट गहराता जा रहा है। उद्धव ठाकरे की सरकार पर संकट के बीच बागी खेमा लगातार मजबूत होता जा रहा है। शिंदे कैंप का दावा है कि एक और विधायक मंगेश कुलडलकर गुवाहाटी पहुंच रहे हैं। सूत्रों के मुताबिक शिवसेना के 6 विधायक सूरत पहुंचने वाले हैं जहां से वो गुवाहाटी जाएंगे। इस बीच उद्धव ठाकरे सीएम आवास छोड़कर मातोश्री पहुंच गए हैं जहां बड़ी संख्या में शिवसैनिकों ने उनका स्वागत किया

असम के गुवाहाटी में रैडिसन ब्लू होटल में एकनाथ शिंदे के साथ महाराष्ट्र के कुल 42 विधायक मौजूद हैं। इसमें शिवसेना के 34 विधायक और 8 निर्दलीय विधायक शामिल हैं। रैडिसन ब्लू होटल में मौजूद महाराष्ट्र के बागी विधायकों ने पूर्व गृह राज्य मंत्री और शिवसेना नेता दीपक केसरकर से मुलाकात की।इस बीच यह जानकारी सामने आ रही है कि विधायकों की तरह ही शिवसेना के 19 में से करीब 8-9 सांसद भी उद्धव का दामन छोड़ सकते हैं। हालांकि, दलबदल विरोधी कानून की वजह से शिवसेना में रहना उनकी मजबूरी होगी।

गवली ने बागियों पर कार्रवाई नहीं करने को कहा

महाराष्ट्र (Maharashtra) में जारी सियासी संकट के बीच शिवसेना (Shiv Sena) सांसद भावना गवली (Bhavana Gawali) बागी नेता एकनाथ शिंदे (Eknath Shinde) के सुर में सुर मिलाती नजर आ रही हैं। उन्होंने एकनाथ शिंदे के समर्थन में हिंदुत्व के पक्ष में बागी विधायकों की मांग पर विचार करना चाहिए।’ लिखकर महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री (Maharashtra CM) उद्धव ठाकरे (Uddhav Thackeray) से बागी विधायकों की मांग पर विचार करने और इन नेताओं के खिलाफ कार्रवाई ना करने की अपील की है।

उन्होंने अपने खत में लिखा कि हिंदुत्व के पक्ष में बागी विधायकों की मांग पर विचार करना चाहिए। वहीं, उद्धव ठाकरे ने राज्य में मचे सियासी बवाल को लेकर फेसबुक लाइव करके राज्य की जनता और शिवसैनिकों को संबोधित किया। उन्होंने कहा कि अगर एक भी विधायक मेरे खिलाफ होगा तो मैं मुख्यमंत्री का पद छोड़ दूंगा। उन्होंने कहा कि अगर एक भी विधायक मेरे खिलाफ है तो यह मेरे लिए बहुत ही शर्मनाक बात है।

सांसदों के पाला बदलने से राष्ट्रपति चुनाव पर पड़ेगा असर

राष्ट्रपति चुनाव 2022 में प्रत्येक सांसद के मत का मूल्य 700 रह गया है, जिसका कारण जम्मू-कश्मीर में विधानसभा का नहीं होना है। ऐसे स्थिति में अगर शिंदे गुट के सांसद ज्यादा होते हैं और वे शिवसेना के असली उत्तराधिकारी बन जाते हैं तो इसका नुकसान विपक्ष को उठाना पड़ सकता है।

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