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भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है

भाजपा नीत गठबंधन की ओर से घोषित राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार द्रौपदी मुर्मू ने राजनीतक सफर में कई मुकाम हासिल किए हैं. हालांकि, उनका निजी जीवन त्रासदियों से भरा है. वहीं, मुर्मू अगर राष्ट्रपति निर्वाचित होती हैं तो उनके नाम एक और अनोखा रिकॉर्ड दर्ज हो जाएगा.

भारतीय जनता पार्टी की अगुवाई वाले एनडीए गठबंधन ने द्रौपदी मुर्मू को राष्ट्रपति चुनाव के लिए अपना उम्मीदवार घोषित किया है. उनके खिलाफ विपक्ष ने भाजपा के ही पूर्व नेता यशवंत सिन्हा को उतारा है. हालांकि, भाजपा ने मुर्मू को उम्मीदवार घोषित करके एक तीर से कई निशाने साध लिए हैं. मुर्मू आदिवासी मूल की हैं, महिला हैं और साथ ही दक्षिणी राज्य उड़ीसा ताल्लुक रखती हैं. मुर्मू का राजनीतिक सफर बड़ा ही रोचक और प्रेरक है. उनके इस सफर में कई रिकॉर्ड दर्ज हैं. वहीं, अगर मुर्मू राष्ट्रपति बन जाती हैं तो दो रिकॉर्ड और उनके नाम दर्ज हो जाएंगे. एक तो वह पहली आदिवासी राष्ट्रपति हैं और प्रतिभा पाटिल के बाद दूसरी महिला राष्ट्रपति होंगी. आइए मुर्मू के राजनीतिक सफर पर एक नजर डालते हैं

ओडिशा में सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक से लेकर भाजपा के नेतृत्व वाले राजग की ओर से राष्ट्रपति पद की उम्मीदवार नामित होने तक का सफर आदिवासी नेता द्रौपदी मुर्मू के लिए बेहद लंबा और मुश्किल सफर रहा है. संथाल समुदाय में जन्मीं मुर्मू ने 1997 में रायरंगपुर नगर पंचायत में एक पार्षद के रूप में अपना राजनीतिक जीवन शुरू किया. इसके बाद वह साल 2000 में ओडिशा सरकार में मंत्री बनीं. बाद में उन्होंने 2015 में झारखंड के राज्यपाल पद की जिम्मेदारी भी संभाली. रायरंगपुर से दो बार विधायक रहीं मुर्मू ने 2009 में तब भी अपनी विधानसभा सीट पर कब्जा जमाया था, जब बीजद ने राज्य के चुनावों से कुछ हफ्ते पहले भाजपा से नाता तोड़ लिया था, जिसमें मुख्यमंत्री नवीन पटनायक की पार्टी बीजद ने जीत दर्ज की थी

बीस जून 1958 को जन्मीं मुर्मू झारखंड की पहली महिला राज्यपाल बनने का गौरव भी रखती हैं. बेहद पिछड़े और दूरदराज के जिले से ताल्लुक रखने वालीं मुर्मू ने गरीबी और अन्य समस्याओं से जुझते हुए भुवनेश्वर के रमादेवी महिला कॉलेज से कला में स्नातक किया. ओडिशा सरकार के सिंचाई और बिजली विभाग में एक कनिष्ठ सहायक के रूप में अपना करियर शुरू किया था. मुर्मू को 2007 में ओडिशा विधानसभा द्वारा वर्ष के सर्वश्रेष्ठ विधायक के लिए नीलकंठ पुरस्कार से सम्मानित किया गया था. उनके पास ओडिशा सरकार में परिवहन, वाणिज्य, मत्स्य पालन और पशुपालन जैसे मंत्रालयों को संभालने का अनुभव है. मुर्मू भाजपा की ओडिशा इकाई की अनुसूचित जनजाति मोर्चा की उपाध्यक्ष और बाद में अध्यक्ष भी रहीं

निजी जीवन त्रासदी भरा

उन्हें 2013 में भाजपा राष्ट्रीय कार्यकारिणी (एसटी मोर्चा) के सदस्य के रूप में भी नामित किया गया था. मुर्मू का विवाह श्याम चरण मुर्मू से हुआ और दंपती के तीन संतान, दो बेटे और एक बेटी हुईं. मुर्मू का जीवन व्यक्तिगत त्रासदियों से भरा रहा है क्योंकि उन्होंने अपने पति और दोनो बेटों को खो दिया है. उनकी बेटी इतिश्री का विवाह गणेश हेम्ब्रम से हुआ है.

 

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