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दिल्ली विवि स्थापना दिवस: तीन कॉलेजों और 750 छात्रों संग शुरू हुआ था सफर, आज पढ़ते हैं इतने छात्र

इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना अलग है ऐतिहासिक महत्व भी है. शहीद भगत सिंह ने एक रात इस संस्थान में गुजारी थी, तो महात्मा गांधी इसके सेंट स्टीफन कॉलेज में रहे थे. आज से 100 वर्ष पूर्व जब दिल्ली विश्वविद्यालय शुरू किया गया था. तब इसका बजट केवल 40 हजार रुपये था. वहीं, आज दिल्ली विश्वविद्यालय का बजट 838 करोड़ से अधिक जा चुका है.

नई दिल्ली, (भाषा): देश के सबसे प्रतिष्ठित विश्वविद्यालयों में शुमार दिल्ली विवि 100 स्थापना दिवस मना रहा है. इस विवि को 100 साल पहले यानि कि 1 मई को 750 छात्रों के साथ शुरू किया गया था. हालांकि आज दिल्ली विश्वविद्यालय  में 6 लाख 6 हजार 228 छात्रों को शिक्षा दी जा रही है. दिल्ली विश्वविद्यालय आज से 100 साल पहले एक मई 1922 को सिर्फ तीन कॉलेजों के साथ शुरू किया गया था. लेकिन आज दिल्ली विश्वविद्यालय में 90 कॉलेज 16 फैकल्टी और हजारों शिक्षक हैं. यही कारण है कि 100 वर्ष का हो चुका दिल्ली विश्वविद्यालय न केवल दिल्ली, बल्कि पूरे भारत के सबसे बड़े विश्वविद्यालयों में शुमार है.

इसके साथ ही दिल्ली विश्वविद्यालय का अपना अलग है ऐतिहासिक महत्व भी है. शहीद भगत सिंह ने एक रात इस संस्थान में गुजारी थी, तो महात्मा गांधी इसके सेंट स्टीफन कॉलेज में रहे थे. आज से 100 वर्ष पूर्व जब दिल्ली विश्वविद्यालय शुरू किया गया था. तब इसका बजट केवल 40 हजार रुपये था. वहीं, आज दिल्ली विश्वविद्यालय का बजट 838 करोड़ से अधिक जा चुका है. दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलपति प्रोफेसर योगेश सिंह ने विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरा होने पर डीयू की उपलब्धियां गिनवाते हुए बताया कि इन 100 वर्षो में दिल्ली विश्वविद्यालय देश के हर घर और हर मन तक पहुंच चुका है.

गौरतलब है कि दिल्ली विश्वविद्यालय की स्थापना एक मई 1922 को हुई थी और एक मई 2022 को विश्वविद्यालय की स्थापना के शताब्दी समारोह का आयोजन डीयू परिसर में किया गया. शताब्दी समारोह का उद्घाटन भारत के उपराष्ट्रपति एवं दिल्ली विश्वविद्यालय के कुलाधिपति एम. वेंकैया नायडू ने दीप प्रज्वलित करके किया.

समारोह के विशिष्ट अतिथि के तौर पर आए केंद्रीय शिक्षा मंत्री धर्मेद्र प्रधान ने अपने संबोधन में दिल्ली विश्वविद्यालय के 100 वर्ष पूरे होने पर कुलपति, सभी पूर्व कुलपतियों, पूर्व शिक्षकों, वर्तमान शिक्षकों, विद्यार्थियों व डीयू से जुड़े सभी गैर शिक्षक कर्मचारियों सहित डीयू की कैंटीनों में काम करने वाले लोगों को भी बधाई दी. उन्होंने कहा कि दिल्ली विश्वविद्यालय के निर्माण व 100 वर्ष की सफल विकास यात्रा में इन सभी लोगों का अहम योगदान है.

उन्होंने कहा कि पुरातन विश्वविद्यालयों के तो नाम ही हमारे सामने हैं, लेकिन देश में 100 वर्ष की उम्र पूरी कर चुके बहुत कम संस्थान मौजूद हैं, जिनमें दिल्ली विश्वविद्यालय भी एक है. उन्होंने डीयू को जीवंत विश्वविद्यालय की संज्ञा देते हुए कहा कि हमारी आजादी का इतिहास इस संस्थान से जुड़ा रहा है. शहीद भगत ने एक रात इस संस्थान में गुजारी तो महात्मा गांधी इसके सेंट स्टीफन कालेज में रहे.

दिल्ली विश्वविद्यालय के शताब्दी समारोह में केंद्रीय शिक्षा मंत्री प्रधान ने कहा, “भविष्य में हमें रोजगार तलाशने वाले नहीं, बल्कि रोजगार पैदा करने वाले बनना होगा और दिल्ली विश्वविद्यालय का इसमें अहम योगदान होगा. उन्होंने कहा कि देश के अमृतकाल में डीयू अपना शताब्दी वर्ष मना रहा है. जब देश अपनी आजादी के 100 वर्ष मनाएगा तो डीयू अपनी स्थापना के 125 वर्ष मना रहा होगा. अगले 25 वर्षों में डीयू को शोध के क्षेत्र में बहुत कुछ करना होगा.”

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