खासतौर पर बुज़ुर्गों और छोटे बच्चों में हीट एक्सॉशन और हीट स्ट्रोक का ख़तरा बढ़ जाता है। ऐसे में इनके बारे में जानना ज़रूरी हो जाता है। साथ ही हीट एक्सॉशन और हीट स्ट्रोक में फर्क को समझना भी ज़रूरी है।
हीट एक्सॉशन और हीट स्ट्रोक
हीट एक्सॉशन से शरीर में तेज़ी से डिहाइड्रेशन होने लगता है, आमतौर पर काफी पसीना आता है, जिससे पानी और नमक की कमी हो जाती है और व्यक्ति की ऊर्जा जैसे ख़त्म हो जाती है। हीट एक्सॉशन के वॉरनिंग साइन में- बेहोशी, मतली, कमज़ोरी, थकावट, चिड़चिड़ापन, सिर दर्द और शरीर का तापमान बढ़ जाता है।
अगर हीट एक्सॉशन का इलाज न किया जाए, तो यह हीट स्ट्रोक में बदल सकता है।
हीट स्ट्रोक, हीट एक्सॉशन से कहीं ज़्यादा गंभीर होता है, और इसमें फौरन मेडिकल मदद की ज़रूरत पड़ती है। हीटस्ट्रोक के लक्षणों में भ्रम, परिवर्तित मानसिक स्थिति, आवाज़ का खराब होना, चेतना की हानि, गर्म, शुष्क त्वचा या अत्यधिक पसीना, दौरे और शरीर का बहुत अधिक तापमान बढ़ जाना शामिल है।
इस वक्त भारत के कई हिस्सों में पारा तेज़ी से बढ़ता ही जा रहा है। कई राज्यों में तापमान 40 डिग्री के पार पहुंच चुका है। ऐसा कई सालों बाद हुआ जब मार्च और अप्रैल के महीने में इतनी गर्मी पड़ी हो। गर्मी के साथ गर्म हवाएं, लू, उमस और तेज़ धूप की वजह से हीट एक्सॉशन, हीट स्ट्रोक, क्रम्प्स आदि जैसी दिक्कतें शुरू हो जाती हैं। यह न सिर्फ सेहत को नुकसान पहुंचाती हैं, बल्कि हमारा रोज़ का काम करना मुश्किल कर देती हैं।